Alone Shayari 2 Lines in Hindi — 100 दिल छू लेने वाले दो लाइन शायरी
यहां आप पाएंगे 100 अनमोल alone shayari 2 lines in hindi — छोटे, सटीक और भावनात्मक शेर जो अकेलेपन की गूंज हैं। इन शायरी को आप सोशल पोस्ट, स्टेटस या कैप्शन में सीधे उपयोग कर सकते हैं।
1. अकेलेपन का आलम भी अजीब है, आवाज़ें आवाज़ लगाती हैं।
खामोशी जब जवाब देती है, तो आँखें ही सारा कुछ कह जाती हैं।
2. भीड़ में भी तन्हा हूँ मैं, मेरी झाँकियाँ किसी को दिखी नहीं।
हंसी मेरे होंठों पे टिक गई, पर दिल के आँसू गिने नहीं।
3. मेरा साया भी अब मुझसे दूरी बनाकर चलता है।
अधूरी दास्ताँें सी ज़िन्दगी रात में पलती है।
4. किसी ने पूछा—खुश हो? मैंने कहा—ठीक हूँ।
पर सच ये है कि औरों से बता कर मैं खुद को धोखा दे रहा हूँ।
5. तन्हाई में अक्सर बीते लम्हों से मुलाकात होती है।
हर याद में एक सिसक उठती है, हर सिसक में तेरी परछाई होती है।
6. खामोशी कुछ कहती है, सुनने वाला कोई नहीं।
दिल में बैठी तन्हाई का कोई इलाज भी नहीं।
7. जुदाई ने सिखाया हमें खुद से बात करना।
अब एहसान नहीं किसी से माँगते, अपने दिल को समझाते हैं।
8. शहर रोशन हैं, पर मेरा घर अँधेरा है।
तन्हा रातों में चाँद भी अब सहारा नहीं देता।
9. मैंने सबको खुश देखा, खुद को आँसूओं में पाया।
शायद मैं वो कहानी हूँ, जो किसी ने बीच में ही छोड़ दी।
10. रातें संकेत लेकर आती हैं, सुबह जवाब नहीं देती।
मेरे सपनों का शहर अब मुझसे पराया हो गया।
11. मुझे अकेला छोड़कर कौन खुश हुआ, ये किसे बताऊँ?
हँसी के पीछे दर्द छुपा है, इसे कैसे दिखाऊँ?
12. मेरी राहें तनहाई से होकर गुजरती हैं।
हर मोड़ पर बस तेरी याद मिलती है और हवा रुकर जाती है।
13. दोस्त कहीं नज़र आते नहीं, सब व्यस्त अपने सफर में हैं।
मैं हर रोज़ अपनी परछाई के साथ ही सफर करता हूँ।
14. तन्हा दिल की आवाज़ को कौन कबूल करेगा?
हर ख्वाब टूट कर भी कभी कोई दफ़्तर करेगा।
15. खामोशियाँ भी कभी-कभी चीखने लगती हैं।
पर इनकी बात सुनने को कोई नहीं रहता।
16. तन्हाई में किताबें भी दिल तक नहीं पहुँचतीं।
हर पन्ने पर तेरी कमी लिखी रहती है।
17. आँखों का सुकून खो गया है, नींद भी दिन में रहती नहीं।
तेरी यादों का जहर हर साँस के साथ मिलके रहता है।
18. किसी की बात सीने में दबा के चलता हूँ।
हँसता हूँ तो लोग पूछते नहीं, क्यों मैं रोता हूँ।
19. सड़कें मालूम होती हैं, पर कदम थम से जाते हैं।
क्योंकि हर मोड़ पर तेरी याद फिर से जग जाती है।
20. मैंने मेहनत की, पर सफलता में तन्हाई भी मिली।
खुशियाँ बाँटने के लिए कोई पास नहीं मिलता।
21. दिल के बाजार में मेरी तन्हाई बिकती है।
खुद ही खरीदता हूँ और खुद ही खो देता हूँ।
22. रात का कमरा और खाली खिड़की मेरे दोस्त हैं।
चाँद उनकी बातें सुनकर मुझसे रो देता है।
23. किसी ने कहा—हिम्मत रखो, वक्त बदल जाएगा।
वक्त बदल गया, पर साथ छोड़ने वालों की लकीर नहीं गई।
24. जब भी हँसता हूँ, चेहरा ही दिखता है मेरा।
पर जब रोता हूँ, आँसू ही मेरे दोस्त बन जाते हैं।
25. कोई आवाज़ नहीं, फिर भी दिल शिकायत करता है।
अकेलापन तो जैसे मेरी पहचान बन गया है अब।
26. दोस्ती के वादे थे, पर वादे भी टूट गए।
आज वही यादें बस दिल में कसक छोड़ गईं।
27. कभी लगता था साथ हमेशा रहेगा।
अब लगता है, बस यादें ही साथ रहेंगी।
28. दिल के दरवाज़े पर ताला लग गया है।
खुलने की आवाज़ भी अब किसी को सुनाई नहीं देती।
29. हर रिश्ते की कीमत तय होती है वक़्त में।
और मेरी कीमत घट गई जब मैं निकला भीड़ में।
30. मेरा दिल खामोश है, पर आवाज़ें बहुत हैं।
हर आवाज़ में तेरी झलक और कोई जवाब नहीं।
31. किसी ने पूछा—तू ठीक है? मैंने कहा—हूँ।
वो किसे बताऊँ कि सही में मैं टूट रहा हूँ।
32. यादों की चादर ओढ़कर सो जाता हूँ।
सुबह होती है तो फिर वही तन्हा सच सामने आता है।
33. लोग कहते हैं वक्त सबको सिला देता है।
पर वक्त ने मुझे तो बस और तन्हा कर दिया।
34. मैं अपनी ही परछाई में साथी खोजता हूँ।
पर परछाई भी अब मुझसे मुसाफिर बनकर चली जाती है।
35. दिल के दरिया में तैरता हुआ एक फिकरा हूँ।
किसी किनारे से जुड़ता नहीं, टूटता ही जाता हूँ।
36. राहें बदलती रहीं, पर मंज़िल तन्हा रही।
तेरी कमी हर मोड़ पर मेरी दुनिया रोके रहती है।
37. मुझे तो बस किसी के साथ की ज़रूरत थी।
पर मेरे पास सिर्फ़ खामोशी का इंतज़ार था।
38. आँखों से बातें होती हैं, शब्दों से कम।
और ये बातें अक्सर किसी के समझ में नहीं आतीं।
39. मैं तो बस किसी को अपना समझ बैठा था।
पर लोग बस अपने-अपने ख्यालों में मुसाफिर निकल गए।
40. रात के सन्नाटे में दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है।
हर धड़कन मेरे अतीत को बार-बार जगाती है।
41. मुस्कान मेरी अब पुरानी बात बन गई है।
अभी भी हँसता हूँ पर खुशी अंदर से खत्म हो चुकी है।
42. मेरी खामोशी किसी से कम नहीं, बस सब अनसुनी हैं।
कभी-कभी खुद से भी शिकायत हो जाती है।
43. हर रिश्ते ने कुछ ले लिया मुझसे।
आख़िरकार मुझे सिर्फ़ एक नाम — अकेला — दे दिया।
44. कुछ लोग आते हैं और लौट जाते हैं, पर यादें रूक जाती हैं।
उन यादों से मेरी रूह अक्सर तकराती है।
45. तन्हाई का वक्त भी अजीब शिक्षक है।
उसने मुझे खुद से मिलवाया और सब से दूर कर दिया।
46. किसी ने पूछा—क्यों उदास हो? मैंने कहा—मौसम ऐसा है।
पर सच्चाई ये थी कि दिल के मौसम में तू नहीं था।
47. तन्हा कमरे में गूँजती है तेरी हँसी की याद।
पर वो हँसी अब मेरे सवालों का जवाब नहीं देती।
48. मैं खुद से पूछता रहा—क्या ग़लत किया मैंने?
पर जवाब सिर्फ़ खामोशी में मिला और वो भी अधूरा रहा।
49. अकेलेपन की हद तक पहुँचकर सीखा मैंने।
कि सब कुछ पा लेने के बाद भी कुछ कमी रहती है।
50. घर भरा है पर दिल खाली सा रहता है।
किसी के साथ बीता हर पल अब याद बनकर रह गया।
51. मेरी हँसी ने रूप बदला, पर आँसू वहीँ रहे।
किसी को यह दिखाना मुश्किल है कि अंदर क्या चल रहा है।
52. रात की चादर ओढ़कर बैठा हूँ खामोशियों से बातें करूँ।
पर खामोशी भी अब मेरी ही बातों का जवाब नहीं देती।
53. किसी का साथ चाहा पर दरवाज़े बंद मिले।
अब मैं अपनी तन्हाई को ही अपना सहारा मानता हूँ।
54. दिल ने चाहा, पर किस्मत ने साथ नहीं दिया।
अब तन्हाई ही मेरी नियति बन चुकी है।
55. मेरी दुनिया में अब खाली कुर्सियाँ हैं।
उनमें बैठकर मैं हर रोज़ तन्हा सोचता रहता हूँ।
56. किसी ने कहा—वक़्त सब ठीक कर देगा।
पर मेरा वक़्त तो बस खोया-खोया सा रहता है।
57. तेरे बिना चैन कहाँ मिलता है मुझे?
हर खुशी अधूरी और हर सुकून दूर लगता है।
58. रात की सन्नाटे में जब दिल पिघलता है।
तब यादों का कारवां सामने आकर रुकता है।
59. मैंने कोशिश की लोगों को समझने की।
पर उनमें मेरी तन्हाई के लिए जगह नहीं मिली।
60. मुसाफिर बनकर निकलता हूँ हर सुबह।
पर लौटकर आता हूँ तो सिर्फ़ अकेलापन मिलता है।
61. तुम्हारी यादों की चाय पीता हूँ रातों में।
पर वो गर्मी जो चाहिए, मुझे किसी से नहीं मिलती।
62. अपने ही घर में भी अजनबी सा लगता हूँ।
किसी की हँसी में मेरी जगह नहीं मिलती।
63. कोई साथ नहीं है, पर उम्मीद बाकी है।
कम-से-कम उम्मीद तन्हाई को सहारा देती है।
64. दर्द छुपाकर हँसना अब आदत बन गई है।
किसी को ये दिखाना नहीं कि भीतर क्या जल रहा है।
65. तन्हा घड़ियाँ भी कभी-कभी प्यास बुझाती हैं।
पर वो प्यास सिर्फ़ तेरी याद की बुझती है।
66. मैंने चाहा कि कोई मेरे साथ चले।
पर मेरे कदम अकेले ही मंज़िल तक पहुँचे।
67. दिल टूटता है, पर ज़ाहिर नहीं होता।
क्योंकि सबको अपनी ताकत की मिसाल दिखानी होती है।
68. अकेलेपन की रातों में अक्सर गीत बनते हैं।
पर गाने के लहज़े में भी ख़ामोशी रहती है।
69. मैंने लोगों के लिए बहुत कुछ किया, पर वापस कुछ नहीं मिला।
शायद मैं किसी की सूची में कभी शामिल ही नहीं था।
70. ख्वाबों के शहर में मेरा घर खाली रहता है।
हर खिड़की पर एक अधूरी उम्मीद ठहरती है।
71. तन्हा होना सीखा, पर जीना नहीं।
हर दिन बस फिर एक नया सवाल बन जाता है।
72. मेरे पास बातें बहुत हैं पर सुनने वाला नहीं।
शायद यही वजह है कि मैं खुद से ही बात करता रहता हूँ।
73. हर रिस्ते की दुरी ने मुझे तोड़ा नहीं, पर बदल दिया।
अब मैं वही हूँ जो किसी के ठीक से समझ में न आए।
74. खुद को हंसाने की आदत डाल ली है मैंने।
क्योंकि पीछे कोई नहीं रहता जो मेरे आँसू पोछे।
75. रातों की तन्हाई में अक्सर तेरे ख्याल आते हैं।
हर ख्याल के साथ एक दफ़्तर मेरा टूट जाता है।
76. दिल में आशाएँ खत्म नहीं होतीं, बस छुप जाती हैं।
कभी-कभी आशा की टहनी भी अकेले ही फूल देती है।
77. लोगों ने साथ छोड़ दिया, पर यादें साथ न छोड़ें।
मैं उन्हीं यादों से अपने आप को जोड़ता रहता हूँ।
78. कभी सोचा नहीं था कि इतना अकेलापन होने लगेगा।
पर किस्मत ने कुछ और ही दास्ताँ लिख दी।
79. मैं अपनी खामोशी में हँसने की कला सीख गया।
क्योंकि बाहर दुनिया तेज़ है और सुनने वाला कम है।
80. जब भी कोई पास आता, खुद को छिपा लेता हूँ।
ताकि कोई मेरे अंदर की कमज़ोरी को देख न पाए।
81. यादों की पूछताछ नहीं होती, बस आती रहती हैं।
और मैं उनका हिसाब किताब दिल में रखता हूँ।
82. रात की तन्हाई ने मुझे मंज़ूर कर लिया।
अब मैं अपनी खामोशी का इमाम बनकर रहता हूँ।
83. कुछ रिश्तों ने सिखाया, कुछ रिश्तों ने तोड़ा।
मैं अब उन टूटनों को ही अपनी ताकत बना लेता हूँ।
84. मेरी तन्हाई ने मुझे भी आराम सिखाया।
अब मैं अपने सुकून को भी अपनी चादर में छिपा लेता हूँ।
85. मैं अब कम बोलता हूँ, ज्यादा सुनता हूँ।
क्योंकि सुनने में भी कहीं कोई जवाब मिलता है।
86. तन्हाई की चादर के नीचे भी उम्मीद जगती है।
और उम्मीदों की लौ से मैं फिर से खड़ा हो जाता हूँ।
87. हर रात मेरे दिल पर एक सवाल छोड़ जाती है।
पर सुबह उसे जवाब देने वाला कोई नहीं होता।
88. मैंने खुद को संभालना सीखा, किसी के बिना जीना भी।
यह आसान नहीं पर अब मैं किसी पर निर्भर नहीं।
89. तन्हाई ने सिखाया है—खुद से प्यार करना।
और जब खुद से प्यार हो जाए, तो अन्य सब सफ़ाया लगता है।
90. दर्द की परछाई साथ चलती है हर मोड़ पर।
पर मैंने सीखा है उसके साथ भी मुस्कुराना।
91. किसी का साथ हो तो ज़िन्दगी रंगीन बन जाती है।
पर जब साथ न हो तो हर रंग फीका दिखता है।
92. मेरी तन्हाई भी अब आदत बन चुकी है।
कभी-कभी यही सिखा दे कि ख़ुशियाँ छोटी भी बड़ी होती हैं।
93. यादें तो साथ हैं पर वे भी अक्सर तंग करती हैं।
कभी भुलाने की कोशिश करो, पर वे लौट कर आती हैं।
94. तन्हाई का असर धीरे-धीरे कम होता है।
बस उसे वक्त चाहिए और थोड़ा सा धैर्य साथ।
95. हर दर्द का हिसाब दिल में लिखा रहता है।
पर वही हिसाब एक दिन खुशियों की किताब भी बनेगा।
96. तन्हाई ने मुझे मजबूत बनाया, पर नरम भी रखा।
क्योंकि मेरे जख्मों ने मुझे इंसान बनाया है।
97. जब दिल टूटता है, तो दुनिया बदल सी जाती है।
पर टूट कर भी उठना असल इब्तिदा होती है।
98. अब मैं अपनी तन्हाई का साथी बन चुका हूँ।
और उसी साथी से मैंने ज़िन्दगी की राहें नाप ली हैं।
99. खालीपन ने मुझे कुछ नया दिखाया—खुद की आवाज़।
और उस आवाज़ ने कभी-कभी मुझे जीना सिखाया।
100. आख़िरी शायरी मेरी तन्हाई के नाम—तेरा शुक्रिया।
क्योंकि तेरे बिना मैंने खुद को खोज लिया, अकेले में ही सही।